( कविता )-धूप
धूप
धूप है बहुत
तुम याद मत आना
पाँव जल रहें हैं
तुम याद मत आना
छाँव दूर ही है
तुम याद मत आना
मुश्किल भरा सफर है
तुम याद मत आना
वैसे तुम्हारी याद तो
सुकून है मेरा
पर देख नहीं सकता
इस धूप के सफर में
मुश्किल सी रहगुज़र में
तुम्हारी याद का आना
और याद के नाजुक पांवों में
छालों का पड़ जाना
अशोक जमनानी