Share
मेरी ही तरह उदास हो शायद
बीते लम्हों के साथ हो शायद
कोई बातें वफ़ा की करता हो
झील वो पानी पानी हो शायद
उसकी छत पे मेरी छत जैसा
आसमान आसमानी हो शायद
रात भर बीता वक्त पढ़ना हो
नींद सुबह बुलानी हो शायद
टूटे ख्वाबों के कोयले लेकर
दिल अंगीठी जलानी हो शायद
- अशोक जमनानी
गुरुवार, मई 13, 2010