तिमिर पथ पर हूँ प्रतीक्षित
तुम मुझे आलोक दे दो
दीपक तुम्हारी सम्पदा वह
रौशनी का लोक दे दो
रौशनी के बीज बोकर
पाऊं उजाले लहलहाते
ना द्वार कोई रिक्त हो
सब द्वार देखूं जगमगाते
मैं शब्द में अग्नि भरूंगा
तुम मुझे सामर्थ्य दे दो
उज्ज्वल तुम्हारी चेतना का
बस वो जागृत अर्थ दे दो
तिमिर पथ पर मैं भ्रमित
तुम मुझे आलोक दे दो
दीपक तुम्हारी सम्पदा वह
रौशनी का लोक दे दो
- अशोक जमनानी