ये दीप नहीं दीप हैं
हृदय का संगीत है
रोशनी के राग में
ढली हुई ये प्रीत है
अग्नि शीश पर धरे
जी रहे वो कौन हैं
हैं रात रात जागते
जोगियों सा मौन हैं
ये दीप नहीं दीप हैं
ये प्रेमियों के मीत हैं
जलते हुए मिटते रहे
ये हार भी तो जीत है
ये सांस सांस रोशनी
और प्यास भी है रोशनी
है रोशनी कदम कदम
मंजिल भी तो है रोशनी
ये दीप नहीं दीप हैं
ये रोशनी के गीत हैं
अंधेरे को हराना भी तो
प्रीत की ही रीत है