मैं नग्न हूँ
- अशोक जमनानी
मैं नग्न हूँ
मुझे नहीं मिल रहा आसमान
निर्वस्त्र
भयभीत
लज्जित
प्रतीक्षारत
कि मिलेगा
जब
जब
ओढ़कर उसे
स्वयं को निहार सकूँगा
मैं
तब
तब
तभी समस्त संसार की
चकित दृष्टि
देखेगी
मेरी देह
अंत:करण
और आत्मा पर
अनंत कोटि आकाश-सा
वह वस्त्र प्रेम का ........... .
- अशोक जमनानी