जिस छाँव में रुकने का मन हो
उस छाँव से दुआ सलाम रहे
जो गाँव लगे अपना अपना
उस गाँव से दुआ सलाम रहे
जिन बातों में हो शहद ज़रा
वो बातें सब दो चार रहें
जो मुश्किल में भी न बदलें
वो साथी सब हमवार रहें
हों रूह के रिश्ते नाते जो
वो याद करें वो याद रहें
जो पल हँसते हों गाते हों
वो शाद रहें आबाद रहें
ये छाँव गाँव ये बातें सब
ये साथी रिश्ते नाते सब
ये मेरी दुआ का सारा असर
तुमको करता हूँ आज नज़र
जिस घर में मोहब्बत बसती है
उस घर से दुआ सलाम रहे
जिस दर पे मोहब्बत बसती है
उस दर से दुआ सलाम रहे