खो गए क़दमों के निशान
उनके जो चलें हैं
रेत पर
समंदर पर उनको ही मिला
जो चल ही दिए हैं
रेत पर
सीपियों के खोल तो
मिल ही जाते हैं
रेत पर
लेकिन मोती उनको हैं मिले
जो रुके नहीं हैं
रेत पर
पाँव जलते हैं बहुत
जब धूप होती
रेत पर
पर नमी उनका है नसीब
जो थके नहीं हैं
रेत पर
बढ़ते क़दमों का दर्द से
रिश्ता पुराना है बहुत
लेकिन फिर भी चल पड़ते हैं
नए कदम कुछ
रेत पर
- अशोक जमनानी