खम्मा लेखन हेतु राजस्थान-यात्रा- खेजड़ी
राजस्थान का अकल्पनीय शौर्य से एक ऐसा अटूट रिश्ता है जो कई बार अचम्भित कर देता है और उस शौर्य की मिसाल पेश करने के लिएज़रूरी भी नहीं है कि हर बार रण-भूमि हो या कोई शत्रु दल ही समक्ष हो। वीर-वीरांगनाओं ने तो प्राणोत्सर्ग करने के लिए तो आवश्यकता पड़ने पर अपने घर-आँगन में ही हँसते-हँसते प्राणोत्सर्ग किया है जो न केवल अतुलनीय शौर्य की गाथा बना है वरन आने वाली पीढ़ियों का शुभ-पंथ-पाथेय भी सिद्ध हुआ है।
वैसे खेजड़ी कहने को तो मरुभूमि में बहुतायत से पाया जाने वाला एक पेड़ ही है जो मेरी अत्यधिक प्रिय केर-सांगरी की बेहद स्वादिष्ट सब्जी का एक हिस्सा भी उपलब्ध करवाता है। दूसरा हिस्सा पाने के लिए केर को ढूंढना पड़ता है पर अभी तो खेजड़ी की बात करनी है इसलिए केर की बात फिर कभी। तो इसी खेजड़ी के अमूल्य वृक्ष ने राजस्थान के वीर-वीरांगनाओं को अपने शौर्य का परिचय देने का जो कारण उपलब्ध करवाया वो आज भी सारी दुनिया के लिए एक मिसाल है और पर्यावरण के प्रति भारतीय जागरूकता का एक सुनहरे हर्फों में लिखा एक बेमिसाल अध्याय भी है।
जोधपुर से 24 किलोमीटर दूर विश्नोइयों के गाँव खेजड़ली में जोधपुर महाराज के सैनिकों ने किले में नवीन निर्माण के लिए खेजड़ी के वृक्ष काटने चाहे तो एक विश्नोई महिला अमृता देवी ने इसका विरोध किया। राजा के सैनिकों ने कीमत देनी चाही तो उसने कहा
दाम लियां लागे दाग टुकड़ो देवो न दान
सिर साटे रूँख रहे तोई सस्तो जान
सिर कट जाए और पेड़ बच जाये तो भी सस्ता ही है। ये भावना थी राजस्थान की एक वीरांगना की। सैनिकों को विरोध पसंद नहीं आया उन्होंने अमृता देवी के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए फिर उनकी बेटियों ने विरोध किया वो भी मारी गयीं। एक-एक करके लोग आते गए और पेड़ बचने के लिए 363 लोगों ने अपनी जान न्यौछावर कर दी। बाद में राजा ने इस पाप कर्म की माफ़ी मांगी लेकिन तब तक राजस्थानी शौर्य सारी दुनियां के सामने अपनी वीरता और पर्यावरण प्रेम की कभी न भुलायी जाने वाली दास्तान पेश कर चुका था। कुछ पेड़ों के लिए तीन सौ तिरेसठ लोग अपनी जान न्यौछावर कर दें सहसा तो इस बात पर यकीन ही नहीं होता लेकिन ये राजस्थान है ................
आ तो सुरगां ने सरमावै ई पर देव रमण ने आवै
ईं रो जस नर-नारी गावै धरती धोरां री
ईं रै सत री आण निभावां ईं रै पत नै नहीं लजावां
ईं नै माथो भेंट चढ़ावा मायड़ कोडां री धरती धोरा री
- अशोक जमनानी