श्रद्धांजलि
चलो चिल्लाते हुए बात करें
शांति की
खंज़र पर लगा हुआ
रक्त लेकर लिखें
अहिंसा
किसी बेबस दलित कन्या को
माध्यम बनाकर दूर करें
अस्पृश्यता
सीना ठोककर स्वीकार करें घोटालों को
ताकि स्थापित हो
सत्य
और हाँ !
बोतल लेकर जरूर रख लेना आज ही
कल बंद रहेगी दुकान
किसी गाँधी के कारण ......
-अशोक जमनानी