नीव ने कोशिश की
गुहार लगाने की
कंगूरे के द्वार पर
कंगूरे ने कहा
ये जुर्रत
चलाओ लाठियां
नीव हारी नहीं
भागी भी नहीं
हाँ ! नीव
सरक रही है
धीरे-धीरे
हा ! कंगूरा
दरक रहा है
धीरे-धीरे
- अशोक जमनानी
गुहार लगाने की
कंगूरे के द्वार पर
कंगूरे ने कहा
ये जुर्रत
चलाओ लाठियां
नीव हारी नहीं
भागी भी नहीं
हाँ ! नीव
सरक रही है
धीरे-धीरे
हा ! कंगूरा
दरक रहा है
धीरे-धीरे
- अशोक जमनानी
अशोक जमनानी
स्वतंत्र लेखक,
होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)