ठंडे कमरे
पिछले दिनों हमारे यहाँ आये एक कलाकार के रुकने के लिए ए. सी . कमरे की व्यवस्था नहीं हो पायी तो वो बहुत अधिक नाराज़ हो गए। मुझे तुरंत एक शेर सूझा तो मैंने उन्हें सुना दिया उसके बाद तो वो इतना अधिक नाराज़ हुए कि तब से अब तक कभी हमारी बात भी नहीं हुई। आप भी शेर पढ़कर बताइये कि मैंने कुछ गलत कहा था क्या ??.........
ठन्डे कमरों में मत रक्खो सीलन इसको खा जाएगी
ये जिंदगी है ऐ साहिब इसे धूप दिखाते रहा करो
कल ये शेर ग्वालियर में सुनाया तो पूरी घटना याद आ गयी।
-अशोक जमनानी