मैं नदी
सत्ता लोलुप
हे राजवंश
मैं नदी
अब
जल विहीन
कृष्ण वाली
अस्मिता
आज लज्जित
हूँ बहुत
देखकर
निर्लज्जता
कालिय वंश
अनुगामी
विषधर
हे राजवंश
हे प्रजा समस्त
मैं नदी
पानी-पानी
कंदुक क्रीडा
प्रतीक्षारत
अंध युग की
विकल व्यथा
शापित किन्तु
मैं लिखूंगी
धिक्कार कहती
तेरी कथा
-अशोक जमनानी