पिछले बरस
मैं देर तक निहारता रहा
मेरी पसंद के रंगों वाले
रेशमी धागों को कलाई पर
उसने पूछा था
क्या बाँचता है भाई
मैंने कविता बताया था
उसने कहा
भाई तू बावरा हो चला
कविता रेशमी धागों में होती है कहीं
पर बावरी वो भी है
इस बरस सूत रंगा है उसने
मेरी पसंद के रंगों में ……
- अशोक जमनानी
मैं देर तक निहारता रहा
मेरी पसंद के रंगों वाले
रेशमी धागों को कलाई पर
उसने पूछा था
क्या बाँचता है भाई
मैंने कविता बताया था
उसने कहा
भाई तू बावरा हो चला
कविता रेशमी धागों में होती है कहीं
पर बावरी वो भी है
इस बरस सूत रंगा है उसने
मेरी पसंद के रंगों में ……
- अशोक जमनानी