नर्मदा यात्रा : 6 : मझियाखार
सिवनी संगम से आगे बढ़ते हैं तो कुछ किलोमीटर बाद एक छोटा सा गाँव है - मझियाखार। नर्मदा के प्रवाह के साथ आदिवासियों का गहरा रिश्ता है लेकिन तीन आदिवासी जातियां यहाँ प्रमुख रूप से निवास करती हैं। बैगा, गोंड और भील। नर्मदा के पूर्व अर्थात आरम्भ में बैगा मध्य में गोंड और पश्चिम अर्थात अंतिम सिरे पर भील।
मझियाखार भी इन्हीं आदिवासियों के गीतों की तरह सौंदर्य रचता है। मेरी कहानी में इस तट पर पात्रों को रात में रुकना था इसलिए मैं भी रुक गया। जन विहीन अरण्य में कल-कल बहती नर्मदा, आकाश में पूर्णता की ओर बढ़ता चन्द्रमा, नदी में प्रवाहित दीप और वन गंध से महकती धरती। कभी-कभी वातावरण गुनगुनाने के लिए विवश कर देता है , मैं भी गुनगुनाया … बड़े अच्छे लगते हैं ये धरती ये नदिया ये रैना और ....... और … चलिए छोड़िये ……… अशोक जमनानी