मगरधा एक अद्भुत गाँव है। इस बहुत छोटे से गाँव को नर्मदा का पानी तीन और से घेरे हुए है। लगभग सभी घरों से लगकर नर्मदा चलती है। घर के पीछे नर्मदा, दायें-बायें नर्मदा और सामने से जंगल में जाता हुआ रास्ता। वहां एक छोटे से घर में एक लड़की गाँव के छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ा रही थी। मैंने बच्चों से सवाल पूछे तो सारे जवाब हाज़िर। मैं हैरान था उस छोटे से गाँव में बच्चों की प्रतिभा देखकर। कुछ देर में उस लड़की की माँ भी आ गयी। सुविधाओँ के शून्य में वो लड़की पुष्पा और उसकी माँ लाटो बाई कोशिश कर रहीं हैं कि उनके गाँव के बच्चे भी खूब पढ़े-लिखे हों। मैं बरगी क्षेत्र के गाँवों की पीड़ा से व्यथित था लेकिन इन सब से मिलकर लगा कि ज़िंदगी हर हाल में रास्ता बना ही लेती है। कभी-कभी कोई फ़िल्मी गीत बहुत सार्थक लगता है तो उसे गुनगुनाता हूँ। वहां से लौटते हुए देर तक गुनगुनाता रहा …
ज़िंदगी तेरे ग़म ने हमें रिश्ते नए समझाये
मिले जो हमें धूप में मिले छाँव के ठंडे साये
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी हैरान हूँ मैं हैरान हूँ मैं ……… अशोक जमनानी