नर्मदा यात्रा : 33 : जबलपुर : ग्वारीघाट
बरगी से चलकर नर्मदा मध्यप्रदेश के अन्न क्षेत्र में प्रवेश करती है। जबलपुर से लेकर हंडिया तक का मैदानी क्षेत्र अलूवियल मैदान कहलाता है यह नर्मदा से जुड़ा सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्र है। हमें लगभग 350 किलोमीटर की इसकी यात्रा में बहुत से मौके मिलेंगे इसके बारे में बातें करने के; अभी तो हम जबलपुर के ग्वारीघाट को देखें। पुराने घाट के स्थान पर यह नया घाट कुछ वर्ष पूर्व ही बना है। जबलपुर कई सदियों के इतिहास का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। गोंड राजवंश और कलचुरि राजवंश की त्रिपुरी शाखा के अनेक अध्याय हैं जिनकी दस्तानों को ज़मीन जबलपुर दी । शायद इसी समृद्ध इतिहास के कारण ही मध्यप्रदेश के गठन के वक़्त जबलपुर को राजधानी बनाने का प्रस्ताव सबसे आगे था लेकिन राजनैतिक कारणों से जबलपुर के स्थान पर भोपाल मध्यप्रदेश की राजधानी बना। जबलपुर उस वक़्त भी बहुत बड़ा शहर था और भोपाल तो जिला भी नहीं था बल्कि सिहोर जिले की एक तहसील मात्र था। एक तहसील राजधानी बन गयी और जबलपुर को संस्कारधानी की उपमा मिली क्योंकि वहां नर्मदा जो बहती है …
- अशोक जमनानी
बरगी से चलकर नर्मदा मध्यप्रदेश के अन्न क्षेत्र में प्रवेश करती है। जबलपुर से लेकर हंडिया तक का मैदानी क्षेत्र अलूवियल मैदान कहलाता है यह नर्मदा से जुड़ा सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्र है। हमें लगभग 350 किलोमीटर की इसकी यात्रा में बहुत से मौके मिलेंगे इसके बारे में बातें करने के; अभी तो हम जबलपुर के ग्वारीघाट को देखें। पुराने घाट के स्थान पर यह नया घाट कुछ वर्ष पूर्व ही बना है। जबलपुर कई सदियों के इतिहास का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। गोंड राजवंश और कलचुरि राजवंश की त्रिपुरी शाखा के अनेक अध्याय हैं जिनकी दस्तानों को ज़मीन जबलपुर दी । शायद इसी समृद्ध इतिहास के कारण ही मध्यप्रदेश के गठन के वक़्त जबलपुर को राजधानी बनाने का प्रस्ताव सबसे आगे था लेकिन राजनैतिक कारणों से जबलपुर के स्थान पर भोपाल मध्यप्रदेश की राजधानी बना। जबलपुर उस वक़्त भी बहुत बड़ा शहर था और भोपाल तो जिला भी नहीं था बल्कि सिहोर जिले की एक तहसील मात्र था। एक तहसील राजधानी बन गयी और जबलपुर को संस्कारधानी की उपमा मिली क्योंकि वहां नर्मदा जो बहती है …
- अशोक जमनानी